निषाद जातियाँ व उप जातियाँ

आंध्र प्रदेश

अंगिकुला क्षत्रिय, बेस्टा, बेस्टार, गंगापुत्र, गंगावार, गोंडला, जालारी, कोराचा, नाय्याला, पट्टापा, पाली, वाडवालिजा, वड्डी, जल्कशत्रिया, वैनीकुला क्षत्रिय (यनेकापु, वान रेड्डी, पल्ली कपौ, पल्ली रेड्डी)

असम

भोई, मल्लाह, झलो मालो, झलो, मालो, मलाकर, नममुद्र, कैबार्ता, पटना, कोटल

बिहार

बांध, धीमर धीमर धीवर धीवर, गोडिया, गोंड, गारी, गुरुिया, राज गोंड, केत कीट, खारवार खैरवार खेरवार, खागी, कैबार्ता, खहर, मंजी, मंजजी माधवार, निशाद, तिआर, टायर, तिआर, मल्लाह

दिल्ली

धीमर, धीमर, धीनवार, धीरवार, केवत, कीओट, निषाद, गोडिया, गोंड गारिया, गुरुिया, राज गोंड, कहर, झिमार, झिंवार, झिवार, झीर, झीर, मल्लाह, तुराह, तुराहा, तुरेहा, तुराहा

गोवा

नायक

गुजरात

भोई, धीरू भोईधर भोई खादीभाई, खसे भोई, जिंदा भोई पारदेशी भोई, राज भोई, धीवर, धीमर धिमर, धीवर, ढेवरा, गोंड, राज गोंड, कोली, महादेव कोली, मल्हार कोली, डोंगर कोली, कोल्चा, कोल्गा, तोकर कोली, किरत , केयर, केवत, केवत, कहर, धुरीया कहर गोंडिया खहर, खैरवार, मल्लाह, मल्हार, मखेन्द्र, मच्छवा, निशाद, टिंडेल, पालवार

हरियाणा

ढीमार, झीमार, कहरहिमर झिंवार, मल्लाहधर जिवार, झीरधर झीर

हिमाचल प्रदेश

ढीमार, झीमार, कहरहिमर झिंवार, मल्लाहधर जिवार, झीरधर झीर

जम्मू और कश्मीर

ढीमार, झीमार, कहरहिमर झिंवार, मल्लाहधर जिवार, झीरधर झीर

केरल

ढेवरा (आर्य, वाला, मुकुवा, मुकया, भोई, मुलया, अरवतीमले अराया), मीनुगारा मनीगारा, मोगरा

कर्नाटक

अंबिगा, मुकुवेना, बेस्टा, बेस्टहर मुकुवारे, बुंदे बेहरहार मुकेश, भरीका, बरिकार, मारकुला, भोई, भोवी, बोवी, मोगरा, भीसेमाकुला, मेलांटा, गंगापुत्र, मेददेरा, गंगाकुला, मच्छिदा, गंज मक्कालु माचिमार, गौरीमाथा मच्छला, गंगारसुर मच्छवा, गोनी कर, गोंड, राज गोंड, मुदिराजा, गंगामाथू, नायक, हरिकंथ्रा नायक, जलगेरा नायक, कबर, कबेरा, नीरगांति, कोराच, नलेकेरा, कोली, परिवरा, पारेवार, काहर, सुनगारा, कबाबलिगा, सेफलिगा, खरवी, सुथकुला, मीनुगारा, मनीगारा, थोरिया, मोगवेरा, वैनीकुला क्षत्रिय (वनेकापु, वन्नरडी, पल्ली रेड्डी), शिवियार, शिविर

मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

धीमर, धीमर, धीवर, धीरवार, देवर, भोई (झिंगा), गोडिया, गोंड, गारी, गुरिया, राज गोंड, केवत, केवत, खरवार, खैरवार खेरवार, केयर, खहर, मल्लाह, मांजी, माजी, माजवार, निशाद, रायवर , तुहा, तुराह, तुराहा, तुरेहा, तुराहा, तिआयार, टायर, तिआर

महाराष्ट्र

भोई, धीरू भोई घरहर भोई खादीभाई, खसे भोई, जिंदा भोई, परदेशी भोई, राज भोई, धीवर, धीमर, ढीमार, धीवर, दवार, कोली धोर, महादेव कोली, मल्हार कोली, डोंगर कोली, कोल्हा कोल्हा, कोल्गा, तोकर कोली , कहर, धुरीया कहर, गोडिया कहर, गोंडकार, किरत, केयर, केवत, केवत, खरवार, खैरवार, मखेन्द्र, मच्छवा, मंजजी, गोंड, राज गोंड,।, टिंडेल, पालवार, मंज़ी, मल्हार, निशाद

मणिपुर

नमशुद्र , पाटनि

मेघालय

झलो-मालो, झलो, मालो, कैबार्टा, जलीया, नमुद्र, पटना, भोई

मिजोरम

झलो-मालो, झलो, मालो, कैबार्टा, जलीया, नमुद्र, पटना, भोई

ओडीसा

देवर, धीरवार, धीवर, भोई। भोवी, गोंड, गोंडो, जालिया, जलीया, झलो-मालो, माला, ज़ला, कैबार्टा, कैबर्टा जालिया, केता, केवाता, कीट, केवेट, नामदास, नमुद्र, खारवार, खैरवार खिरवार, तिआर, तिआर, तिओर, कोली, मल्हार। पंजाब, धीरवार, झिमार झिन्वर, झिवार, झीर, झीर, कहर, मल्लाह

राजस्थान

धीमर, धीमर, धीवर, भोई, गोंड, गोडिया, गारी, गुरिया, राज गोंड, कहार, केवत, कीओट, झिमार झिंवार, झिवार, झीर, झीर, केयर,। मल्ला, मांजी, माजी, माजवार, Riakwar, कोली, ढोर, तोकर कोली, कोल्चा, कोल्गा,



सामाजिक संदेश

निषाद (केवट) जाति के सभी नवयुवा एवं वरिष्ठ युवागण द्वारा दूर संचार माध्यम, सामाजिक समूह, जातीय संगठनात्मक ढांचा के रूप में संगठित होकर निषाद समाज के सर्वांगीण विकास हेतु कृत सकंल्पीत होने का अभियान, जिसमे अधेड़ और प्रौढ़ वय तथा किशोर वय की भी भागीदारी का सक्रीय प्रयास, जिससे समाज की दशा एवं दिशा का निर्धारण हो सके।

कार्यक्षेत्र

मूलतः छत्तीसगढ़ के लगभग २७ जिलो में फैले तक़रीबन १०-१२ लाख की केवट आबादी को केंद्रित करते हुए, उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं राजनैतिक विकास हेतु कार्य योजना बनाना । अनन्य समसामयिक गतिविधियों का भव्य आयोजन, परंपरागत गुहा जयंती समारोह का आयोजन, युवा महोत्सव का विशाल आयोजन एवं प्रासंगिक जनजागृति के प्रयास का आयोजन इत्यादि करना है.

एक विजन

जिस निषाद ( केवट ) जाति के भक्त केवट के द्वारा पाद प्रक्षालन कर श्री राम जी को गंगा पर कराया गया, जिस भक्त शिरोमणि गुहा निषाद राज ने श्री राम जी की सेवा - सुश्रुवा की. फलस्वरूप प्रभु ने सखा कहकर सम्मानित किया, भरत ने गले लगाया और आदिकवि वाल्मीकि तथा कवि कुल शिरोमणि तुलसीदास जी ने जिनकी प्रशंसा की। जिस जाति की कन्या सत्यवती ( मत्स्यगंधा) के सुपुत्र वेद व्यास जी - स्वयं नारायण के अवतार एवं चारो वेद, अठ्ठारह पुराणों और छह शास्त्रो के रचियता थे. जिस जाति के राजकुमार एकलव्य अद्वितीय धनुर्धर रहे, जिन्होंने अंगूठे दानकर महान शिष्यत्व के उदाहरण बने. ऐसे वेद -वेदांग, विद्वान और कवि कुल प्रशंसित निषाद ( केवट ) जाति वर्तमान में पद - प्रतिष्ठा - वैभव के नैराश्य में विक्षिप्त है. यह अवश्य ही प्राचीन गौरव के अधिकारी है. यह तभी संभव है जब समग्र रूप से दृढ निश्चय होकर, कर्मठता के साथ सामाजिक एकता, शैक्षिक - बौद्धिक विकास, आर्थिक उन्नत होकर, राजनैतिक अवसरों का लाभ लेकर समाज के सर्व अंग को उन्नत बनाया जाय. जिससे निषाद समाज महर्षि वाल्मीकि के तथाकथित अभिशाप
(
मा निषाद ! प्रतिष्ठा त्वमगमः शाश्वती समाः ॥
यतकरौंच मिथुनात्मकम वधि काम मोहितं ॥
)
- हे निषाद ( बहेलिये ) ! तुमने काम में लींन क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक का वध कर दिया है, अतएव तुम्हे चिरकाल तक प्रतिष्ठा नही मिलेगी, को अप्रासंगिक बनाते हुए भारतवर्ष के आदि निवासी का सम्मान अधिकार और प्रतिष्ठा प्राप्त करे

हमारा मिशन

आगामी दस वर्षो के लक्ष्य -
१) सभी निषाद बालक - बालिकाओ के लिए न्यूनतम स्नातक स्तर की शिक्षा की सुनिश्चितता
२) योग्य विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का लाभ दिलाने विभिन्न सरकारी योजनाओ का सहयोग या अन्य मदो से व्यवस्था
३) नियमित पुरस्कार, प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, सेमीनार योजना
४) जातीय स्तर पर रोजगारमूलक प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यवस्था
५) जातिगत सूचना , संचार एवं प्रसार की बेहतर व्यवस्था
६) जातीय संगठन के स्थानीय, बरगेहा, पचगएहैं, जिला व् प्रादेशिक की अधिक लोकतान्त्रिक स्वरुपिकरण
७) राज्य विधानसभाओ में प्रतिनिधित्व का प्रयास
८) विबिन्न राजनैतिक दलो में उच्च स्तरीय प्रतिनिधित्व का प्रयास
९) केंद्र व् राज्य प्रशासनिक सेवाओ में जाति के अधिकाधिक भागीदारी व् चयन के लिए विधिवत पहल
१०) तकनिकी क्षेत्रो में युवाओ की भागीदारी बढ़ाना
११) मतस्य पालन के पुश्तैनी क्षेत्रो में व्यापारिक नियंत्रण
१२) बेहतर आर्थिक स्थिति हेतु मिट व्ययिता पूर्ण जीवन चर्या का प्रचार - प्रसार करना.
१३) कुप्रथाओ, मड़ाई मेला, मारण पूजन , जावरा , शादियों, जन्मोत्सवों में मदिरापान व् फिजूल खर्ची पर नियंत्रण